इंदौर में होगा 69 साल पुराने पुल का निर्माण, ऊपर से गुजरेगी मेट्रो ट्रेन

इंदौर- शहर के पूर्व-पश्चिम को जोड़ने वाले शहर के 69 साल पुराने शास्त्री ब्रिज को तोड़कर उसे नया बनाया जाएगा। इसके लिए प्रारंभिक सर्वे के साथ सहमति भी बन गई है। जल्द ही अगली बैठक कर इसका खाका तैयार किया जाएगा। ब्रिज को नया बनाने का खास कारण यहां से मेट्रो का शहर के बीच से गुजरना है। विशेष यह कि नया ब्रिज बनने के साथ इसके ऊपर से मेट्रो ट्रेन गुजरेगी। नया ब्रिज भी शास्त्री ब्रिज के नाम से ही जाना जाएगा। ब्रिज की आवाजाही सुगम बनाने के लिए इसकी स्पेशल डिजाइन तैयार कर खूबसूरत लुक दिया जाएगा।

शहर के लोगों की तीन-चार पीढ़ियां इस ब्रिज का सालों से उपयोग करती रही है। इसके पूर्व बीते 20 सालों में कई बार इसमें सुधार काम हुआ और नया बनाने को लेकर भी मंथन हुआ। लेकिन सहमति नहीं बनी। इस बीच 1980 के दशक में ब्रिज पर ट्रैफिक के दबाव को देखते हुए इसके समानांतर पटेल ब्रिज बनाया गया। इसके बावजूद शास्त्री ब्रिज पर दबाव कम नहीं हुआ और लोगों को सुविधा की दृष्टि से यही ब्रिज अनुकूल लगा जिसका उपयोग लगातार जारी है।

पटेल ब्रिज पर भारी वाहनों की आवाजाही ज्यादा

शास्त्री ब्रिज पर ट्रैफिक का दबाव देखते हुए पटेल ब्रिज बनाया गया। पटेल ब्रिज की लम्बाई-चौड़ाई शास्त्री ब्रिज से ज्यादा रखी गई। इसके बावजूद लोगों का रुख शास्त्री ब्रिज की ओर ज्यादा रहा। रेलवे स्टेशन, सियागंज, रानीपुरा, महारानी रोड, वेयर हॉउस रोड आदि व्यवसायिक क्षेत्र होने के कारण पटेल ब्रिज का उपयोग व्यवसायिक वाहनों के लिए ज्यादा होने लगा। इसके चलते भी लोग इस ब्रिज के मुकाबले शास्त्री ब्रिज को ही ज्यादा तरजीह देते हैं।

15 साल में बना राजकुमार ब्रिज

ट्रैफिक के दबाव को देखते हुए 1990 के दशक में राजकुमार ब्रिज का निर्माण शुरू हुआ। लेकिन उसे गति मिली 2000 के दशक में। इस अवधि में यह ब्रिज कंपनी-ठेकेदार के भुगतान नहीं करने, मौसम के प्रभाव, बजट सहित कई कारणों के चलते निर्माणाधीन रहा। फिर जब बनकर तैयार हुआ तो इसकी कम चौड़ाई व डिजाइन में डिफेक्ट को लेकर सवाल उठने लगे। नतीजतन इस ब्रिज के बनने के बाद भी शास्त्री ब्रिज पर दबाव कम नहीं हुआ।

फुटपाथ की चौडाई कम की गई

इधर, बीते सालों में शास्त्री ब्रिज के पिलर कमजोर होने के चलते सुधार काम किया गया। इसके साथ ही चौड़ाई बढ़ाने का प्लान भी किया गया। लेकिन टेक्निकल पेंच के चलते यह संभव नहीं हो सका। बाद में इसके दोनों ओर के फुटपाथ की चौड़ाई काफी कर दी गई। इस ब्रिज पर गांधी प्रतिमा से गांधी हॉल तक काफी ट्रैफिक रहता है जबकि तीसरी भुजा (रेलवे स्टेशन से गांधी हॉल की ओर) वन वे होने के कारण ट्रैफिक कम रहता है।

शास्त्री ब्रिज को लेकर ये हैं खास बातें

  • इस ब्रिज का निर्माण 1953 में किया गया था।
  • इसकी चौडाई 448 मीटर है। तब इसकी लागत 1 करोड़ रुपए आई थी।
  • लोग विकल्प के रूप में पटेल ब्रिज व राजकुमार ब्रिज होने के बाद भी इस ब्रिज का ज्यादा उपयोग करते हैं।

शहर को मिलेगी सौगात

सांसद शंकर लालवानी ने बताया कि पुराने रेलवे स्टेशन पर जो नया रेलवे स्टेशन बनना है, इसके लिए रेल मंत्री ने योजना बनाई है। इसमें यह था कि नेहरू पार्क रोड पर नए प्लेटफॉर्म जो नेहरू पार्क रोड पर है, उसे भी रिनोवेशन में लेना चाहिए। तब सर्वे में यह बात सामने आई कि शास्त्री ब्रिज का बोगदा छोटा है। दूसरी ओर पुराने प्लेटफॉर्म व नए प्लेटफॉर्म (पार्क रोड) को कनेक्ट करना है तो शास्त्री ब्रिज की चौडाई व ऊंचाई बढ़ाना पड़ेगी। इसे लेकर गुरुवार को मेट्रो व नगर निगम के अधिकारियों के साथ बैठक हुई। आने वाले दिनों में तीन विभाग मिलकर इसे लेकर निर्णय लेंगे ताकि इसे चौड़ा और लम्बा बनाया जा सके। अब यह ब्रिज कमजोर भी हो चुका है। यह इंदौर के लिए अच्छी सौगात होगी क्योंकि आने वाले 50 सालों में इस पर ट्रैफिक और बढ़ेगा।